वर्ष 2017 में एक स्टडी रिपोर्ट ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस’ में प्रकाशित हुई थी जिसमें वैज्ञानिकों ने घोषणा की थी कि मौजूदा विश्व ‘सिक्स्थ मास एक्सटिंशन’ (Sixth Mass Extinction) के दौर से गुजर रहा है। इसका मतलब यह था कि पृथ्वी पर प्रजातियां के तेजी से विलुप्त होने की छठी परिघटना की प्रक्रिया जारी है। उनके मुताबिक इसके लिए कोई प्राकृतिक या खगोलीय कारक जिम्मेदार नहीं है वरन् खुद मानव जिम्मेदार है। इसलिए इसे ‘एंथ्रोपोसीन’ भी कहा गया। उनके इस अध्ययन की पुष्टि 19 मार्च, 2018 को ‘सूडान’ नामक एकमात्र नॉदर्न व्हाइट नर राइनो के केन्या में निधन से हुयी जिसे पूरे विश्व ने देखा। अब इसकी पुष्टि का एक और उदाहरण सामने आया है। 5 सितंबर, 2018 को बायोलॉजिकल कंजर्वेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक आठ दुर्लभ पक्षी प्रजातियां विश्व से विलुप्त हो गईं हैं। जहां सूडान नामक एकमात्र उत्तरी श्वेत नर गैंडा के निधन की खबर समाचारपत्रों प्रमुखता से छपी, वहीं पक्षियों की विलुप्ति खबरों से भी विलुप्त रही। यह ‘मेगा स्पेशीज मायोपिया’ का उदाहरण है जहां बड़े व लोकप्रिय जानवरों के संरक्षण के समक्ष लघु प्रजातियों की उपेक्षा कर दी जाती है।
बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा वित्त पोषित आठ वर्षीय अध्ययन में चरम संकटापन्न 51 पक्षी प्रजातियों का सांख्यिकी तौर पर विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन के अनुसार इनमें से आठ पक्षी प्रजातियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्ति के सन्निकट हैं। उन्होंने पाया कि तीन विलुप्त हो चुकी हैं, एक जंगल में विलुप्त हो गई है और चार यदि विलुप्त नहीं हुईं हैं तो वे इसके करीब जरूर हैं।
बर्ड लाइफ इंटरनेशनल उपर्युक्त आठ प्रजातियों में से तीन को विलुप्त श्रेणी में वर्गीकृत करने के लिए आईयूसीएन से सिफारिश कर रही है। ये तीन प्रजातियां हैं; ब्राजीलियन क्रिप्टिक ट्रीहंटर (Cryptic Treehunter), जिसे अंतिम बार वर्ष 2007 में देखा गया था; ब्राजीलियन एलागोआस फॉलिएग ग्लीनर (Alagoas Foliage-gleaner ) जिसे अंतिम बार वर्ष 2011 में देखा गया था और हवाई ब्लैक फेस्ड हनीक्रीपर या पू उली (Poo-uli) जिसे अंतिम बार वर्ष 2004 में देखा गया था।
जो आठ प्रजातियां विलुप्त हो गईं हैं या इसके लगभग करीब हैं उनमें एक ‘स्पिक्स मैको (Spix’s Macaw) नामक तोता है जिसे वर्ष 2011 की ‘रियो’ नामक एनिमिटेड फिल्म में चित्रित किया गया था। इसे जंगलों में अंतिम बार वर्ष 2000 में देखा गया था। इस प्रजाति के केवल 70 पक्षी कैप्टिविटी या संरक्षण में रखी गईं हैं। इसका मतलब यह है कि जंगलों से यह प्रजाति गायब हो गई है।
अन्य पक्षी प्रजातियां जो विलुप्त हो गईं हैं या विलुप्ति के निकट हैं, वे हैं; पर्नाम्बुको पिग्मी-उल्लू (Pernambuco Pygmy-owl) (अंतिम बार 2001 में देखी गयी), गैलॉकोस मैको (Glaucous Macaw) (अंतिम बार 1998 में देखी गयी), न्यू कैलेडोनियन लोरिकीट (New Caledonian Lorikeet) (अंतिम बार 1987 में देखी गयी) व जावा लापविंग (Javan Lapwing) (अंतिम बार 1994 में देखी गयी)। जो आठ पक्षी प्रजातियां विलुप्त हो गईं हैं उनमें चार ब्राजील की हैं।
शोधकर्त्ताओं के मुताबिक जबसे उन्होंने रिकॉर्ड रखना आरंभ किया है तब से कुल 187 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। ऐतिहासिक तौर पर द्वीपों पर रहने वाली प्रजातियों पर सर्वाधिक खतरा होता है। आधी प्रजातियों की विलुप्ति के लिए हमलावार विदेशी प्रजातियां जिम्मेदार रही हैं जो द्वीपों पर कब्जा कर लेती हैं। 30 प्रतिशत विलुप्ति के लिए शिकार व पालतु बनाने के लिए व्यापार जिम्मेदार रहा है। परंतु निर्वनीकरण व कृषि प्रक्रिया में बढ़ोतरी भी इसके लिए जिम्मेदार रही हैं और आने वाले समय में कृषि विस्तार से इन प्रजातियों पर खतरा बढ़ने ही वाला है। उदाहरण के दौर पर विलुप्त प्रजाति क्रिप्टिक ट्रीहंटर का घर उत्तर-पूर्वी ब्राजील का मुरिसी जंगल रहा है जिसका स्थान अब गन्ना की खेती ने ले लिया है। इस तरह निर्वनीकरण व पर्यावास के समाप्त होने से इन प्रजातियों के अस्तित्व पर दिनोंदिन खतरा उत्पन्न होगा।