अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2019 की पूर्व संध्या पर राजधानी दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन’ पर एक सम्मेलन आयोजित हुआ। इसे अंतरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (आईआईडीएम) ने आयोजित किया था। सम्मेलन में आपदा प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी राय व अनुभव साझा किए। यह सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हुआ जब पटना शहर भीषण बाढ़ की चपेट से बाहर आने की जद्दोजहद कर रहा था और जहां आपदा प्रबंधन की कथित पूर्व तैयारी धरी की धरी रह गई थी। सम्मेलन में इस विषय पर भी कुछ विचार रखे गए।
मुख्य अतिथि, पद्म श्री से सम्मानित श्री ब्रह्मदेव शर्मा ‘भाई जी’ ने आपदा प्रबंधन में परंपरागत ज्ञान का इस्तेमाल की आवश्यकता जतायी। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि कैसे पहले नदी के बीच से बालू निकालने का काम किया जाता था जिस वजह से नदी की गहराई बनी रहती थी। परंतु आज नदी किनारे से बालू निकाला जा रहा है जो बाढ़ को आमंत्रण है। कुछ विशेषज्ञों ने आपदा प्रबंधन में आधुनिक प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकों के साथ परंपरागत तकनीक की संयुक्त प्रणाली को अपनाने पर बल दिया।
अंतरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान आपदा प्रबंधन की दिशा में भारत में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर 2007 से शिक्षण-प्रशिक्षण एवं अनुसंधान पर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। संस्थान आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सरकारी मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, जिलों, अस्पतालों, स्कूलों और कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए सुरक्षा योजना आदि बनाने में विशेषज्ञता रखता है।
सम्मेलन का उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री एस.एस.चैहान, अध्यक्ष, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग, नई दिल्ली द्वारा किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता जाने-माने शिक्षाविद् पद्मश्री श्रीब्रह्मदेव शर्मा ‘भाई जी’ के द्वारा किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) श्री आर पी साही, उपाध्यक्ष, यूपी एसडीएमए; प्रो. वीके शर्मा, उपाध्यक्ष, सिक्किम एसडीएमए के साथ-साथ यूगांडा एवं रवांडा उच्चायोग के प्रतिनिधि इस सम्मेलन के सम्मानित विशिष्ट अतिथि थे जिन्होंने धरती के जलवायु में हो रहे परिवर्तन पर गहन चिंता जाहिर की और इस संदर्भ में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों पर रोशनी डाली।