नाइट्रोजन एक अनिवार्य तत्व है जो प्रत्येक जीव के पर्याप्त विकास एवं कार्य के लिए जरूरी है। नाइट्रोजन सभी एमीनों अम्लों में पाया जाता है, प्रोटीनों में शामिल रहता है तथा क्षारों के रूप में मौजूद रहता है, जिनसे डीऑक्सीरिबोन्युक्लिक अम्ल (डीएनए) और राबोन्युक्लिक अम्ल (आरएनए) का निर्माण होता है। पादपों में नाइट्रोजन की अधिकांश मात्रा पर्णहरित अणुओं के उपयोग में आती है जो प्रकाशसंश्लेषण और आगे विकास के लिए जरूरी होती है।
यद्यपि वायुमंडल 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस से बना है पर यह अपेक्षाकृत एक निष्क्रिय गैस है। इसलिए, सजीव वस्तुओं द्वारा इसे प्रत्यक्ष उपयोग में नहीं लाया जा सकता। बिना नाइट्रेटों या अन्य नाइट्रोजन यौगिकों में बदलाव करके इसका उपयोग करना संभव नहीं। हालांकि मृदा में मौजूद कतिपय जीवाणु तथा समुद्र में मौजूद साइनो जीवाणु कुछेक जीव हैं जो इस परिवर्तन को स्वतंत्रतापूर्वक अंजाम देने में समर्थ हैं।
वायुमंडलीय नाइट्रोजन का एक ऐसे रूप में रूपान्तरण जो पादपों के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके तथा इस तरह से जानवरों और मानवों के लिए भी सुलभ हो सकना नाइट्रोजन चक्र में जीने के लिए एक अनिवार्य कदम है। ऐसे रूपान्तरण के चार तरीके हैं।
जैविक यौगिकीकरण
एजोटोबैक्टर जैसे मुक्त सजीव जीवाणु के साथ फलीदार पौधों के अक्सर जुड़े सहजीवी जीवाणु नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करने और उसे कार्बनिक नाइट्रोजन के रूप में आत्मसात करने में सक्षम हैं। पारस्परिक नाइट्रोजन यौगिककरण का एक उदाहरण राइजोबियम जीवाणु है, जो पादपों के जड़गांठ में रहता है। दूसरा उदाहरण प्रकाश संश्लेषी साइनो जीवाणु का है जो अक्सर मरुभूमि मृदाओं के रूप में पायोनियर अधिवासों में मुक्त सजीव अवयवों में या अन्य पायोनियर अधिवासों मे शैवालों साथ सहजीवी के रूप में मौजूद रहता है। वे जलीय फर्न सजोला और साइकडों के रूप में अन्य जीवों के साथ भी सहजीवी जुड़ावों का भी निर्माण करते हैं।
औद्योगिक नाइट्रोजन यौगिकीकरण
फ्रिट्ज हेबर और कार्ल बोस्च ने एक प्रक्रिया की खोज की जिसमें 1909 में औद्योगिक आधार अमोनिया का उत्पादन करते हुए समृद्ध लोहा या रुथेनियम उत्प्रेरक के रूप में नाईट्रोजन यौगिकीकरण प्रतिक्रिया का उपयोग किया जाता है। हेबर-बोस्च प्रक्रिया से हाइड्रोजन गैस के साथ नाइट्रोजन को अमोनिया खादों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
जीवाश्म ईंधनों का दहन
ऑटोमोबाइल इंजिन और तापीय बिजली संयंत्र नाइट्रोजन ऑक्साइड निगर्त करते हैं।
अन्य प्रतिक्रियाएं
इसके अतिरिक्त, बिजली कड़कने के दौरान वैद्युतीय आवेश के परिणाम स्वरूप मृदा में नाइट्रोजन जोड़ा जा सकता है। बिजली चमकने से उत्पन्न ऊर्जा के कारण ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैस जलवाष्प के साथ संयोजन करके तनु नाइट्रिक अम्ल का निर्माण करती है। यह अम्ल वर्षा में घुलकर मृदा में नाइट्रोजन तत्व को बढ़ाता है।