आज से 252 मिलियन वर्ष पहले पर्मियन युग में पृथ्वी पर जीवन के लिए कठिन समय था। उस युग में पृथ्वी पर से अधिकांश जीव नष्ट हो गए थे जिस वजह से इसे ‘महान मृत्यु’ और पृथ्वी का सबसे घातक ‘प्रजाति विलुप्ति’ (Mass Extinctions) की घटना की संज्ञा दी जाती है। जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध आलेख के आधार पर वैज्ञानिकों ने इस प्रजातीय विलुप्ति के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान साइबेरिया इलाके में ज्वालामुखी विस्फोट की विशाल परिघटनाएं हुईं जिस वजह से वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड एवं मीथेन ग्रीन हाउस उत्सर्जित हुआ। इससे पृथ्वी काफी गर्म हो गया। गर्म जल पर्याप्त ऑक्सीजन को धारण करने में असफल रहा जो जीवन को सहायता प्रदान कर सके। परिणामस्वरूप ‘महान मृत्यु‘ (Great Dying) परिघटना सामने आई। महासागर का लगभग 96 प्रतिशत जीव एवं सुपर महाद्वीप पैंजिया की जमीन की 70 प्रतिशत प्रजातियां समाप्त हो गईं। हालांकि यह परिघटना 60,000 वर्षों में संपन्न हुई परंतु भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से इतने वर्ष अधिक नहीं हैं।
तथाकथित पर्मियन-ट्रायासिक व्यापक विलुप्ति की वजह से पृथ्वी से व्यापक विविधता समाप्त हो गई जिनमें शार्क एवं सरिसृप से लेकर प्रवाल तक शामिल थे।
पृथ्वी पर प्रजातीय विलुप्ति का कालक्रम
पृथ्वी पर प्रजातीय विलुप्ति की निम्नलिखित परिघटनाएं हुईं हैं:
ओर्डोविसियन-सिलुरियन विलुप्तिः जैव विलुप्ति की यह परिघटना आज से 440 मिलियन वर्ष पहले घटित हुई। लघु समुद्री जीव नष्ट हो गए।
डेवोनियन विलुप्तिः इस व्यापक विलुप्ति की परिघटना में 364 मिलियन वर्ष पहले 75 प्रतिशत प्रजातियां नष्ट हो गईं।
पर्मियन-ट्रायासिक विलुप्तिः यह परिघटना जो आज से 252 मिलियन वर्ष पहले घटित हुई जो भूवैज्ञानिक इतिहास की सबसे भयंकर विलुप्ति की घटना थी।
ट्रायासिक-जुरासिक विलुप्तिः यह परिघटना आज से 199 मिलियन से 214 मिलियन वर्ष पहले घटित हुई। इस विलुप्ति घटना के लिए क्षुद्रग्रह प्रभाव, जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस युग की शुरुआत में पृथ्वी पर डायनासोर से अधिक संख्या स्तनधारियों की थी परंतु युग की समाप्ति के समय डायनासोर की संख्या अधिक हो गई।
क्रिटैशियस-टर्सियरी विलुप्तिः जैव विविधता विलुप्ति की यह परिघटना आज से 65.5 मिलियन वर्ष पहले घटित हुई।