हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार महज दो सौ वर्षों में मानव ने शीतलन प्रवृत्ति को उलट दिया है और जलवायु को आज से 50 मिलियन वर्ष पहले ले गया है। जलवायु में परिवर्तन यह गति हमारी पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों ने शायद ही किसी चीज में महसूस किया है।
प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2030 में पृथ्वी पर तापमान मध्य प्लीओसीन युग के जैसा होगा जो कि भूवैज्ञानिक भाषा में आज से 3 मिलियन वर्ष पहले की बात है। यदि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी नहीं की जाती है तो 2150 तक पृथ्वी उष्ण व हिम मुक्त इयोसीन युग जैसा होगा जो कि आज से 50 मिलियन वर्ष पहले का युग था।
अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी पर मौजूद सभी प्रजातियों के पूर्वज इओसीन व प्लीओसीन युग में जीवित बचे रहने में सफल रहे थे परंतु मानव एवं जीव व जंतु जिनसे हमारा परिचय है, वे ऐसी जलवायु उष्णता व हिम विहीन स्थिति के अनुकूल खुद को ढ़ाल सकेंगे या नहीं, यह देखा जाना शेष है।
उल्लेखनीय है कि इओसीन युग के दौरान पृथ्वी के महाद्वीप एक-दूसरे से काफी हद तक जुड़े हुए थे और वैश्विक औसत तापमान आज की तुलना में 23.4 डिग्री फॉरेनहाइट (13 डिग्री सेल्सियस) अधिक गर्म था। डायनासोर विलुप्त हो गए थे व्हेल एवं घोड़ें जैसे स्तनधारी पूरे विश्व में प्रसारित होने लगे थे।
प्लीओसीन युग में उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका विवर्तनिक रूप से जुड़े हुए थे और जलवायु शुष्क था तथा भू-पवनें जानवरों को महाद्वीपों में प्रसार में मदद की तथा हिमालय का निर्माण हुआ। वर्तमान की तुलना में उस युग में औसत वैश्विक तापमान आज की तुलना में 3.2 से 6.5 डिग्री फॉरेनहाइट (1.8 से 3.6 डिग्री सेल्सियस) अधिक गर्म था।
उपर्युक्त अध्यययन के लिए केविन बुर्के एवं जॉन जैक विलियम्स (यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉनसिन-मैडिसन) एवं उनके सहयोगियों ने आईपीसीसी की पांचवीं समीक्षा रिपोर्ट द्वारा तय भावी जलवायु पूर्वानुमानों की तुलना भूवैज्ञानिक इतिहास के कई युगों से की। जिन युगों से इनकी तुलना की गई, उनमें शामिल हैं आरंभिक इओसीन, मध्य प्लीओसीन, उत्तर इंटर-ग्लैसियल, मध्य होलोसीन, पूर्व औद्योगिक क्रांति युग से आरंभिकी 20वीं शताब्दी। उन्होंने ‘रिप्रजेंटिटिव पाथवे 8.5 (आरसीपी 8.5) का उपयोग किया जो ग्रीन हाउस गैस उत्जर्सन में कमी नहीं होने की दशा में भावी जलवायु परिदृश्यों का प्रतिनिधित्व करता है।