हिमनद क्षेत्र में बर्फ की नदियां होती हैं, जो निरंतर गतिमान रहती हैं तथा जिनका निर्माण सैकड़ों या हजारों वर्षों के दौरान हिम के संहनन और पुनः रवाकरण द्वारा होता है। प्रवाहपूर्ण संचलन चाहे वह कुछेक सेंटीमीटर या दस मीटर प्रतिदिन क्यों न हो, एक हिमनद को मृत बर्फ के ढेर से अलग करता है। वर्तमान में वैश्विक तौर पर हिमनद का आच्छादन लगभग 15,000,000 वर्ग किलोमीटर है, जिनमें से लगभग 14,000,000 वर्ग किलोमीटर अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के दो हिम महाद्वीपों तक सीमित है। शेष हिम आच्छादन आल्प्स, रॉकीज, हिमालय में उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में न्यूजीलैंड आल्प्स की पर्वत श्रृंखलाओं में वितरित है।
हिमालय में लगभग 9,500 हिमनद मौजूद हैं। हिमनद सम्बंधी अध्ययन में बताया गया है कि हिमालय में कई हिमनद पीछे की ओर खिसक रहे हैं कुछ स्थिर हैं जबकि कुछ आगे की ओर चल रहे हैं। हिमबद्ध क्षेत्र में बर्फ/हिम का अचानक नीचे ढलान की ओर तीव्र प्रवाह, भूस्खलन की भांति होता रहा है, जिसे हिमधाव कहा जाता है। ढालों पर निराधार हिम आच्छादन के साथ हिम स्तर की अत्यधिक मात्रा विशेषकर भयंकर सर्दी के दिनों में अचानक तापमान बढ़ने जैसे अनिश्चित मौसमी पैटर्न आपदा के कारक हैं। जैसा कि लोकप्रिय कार्टूनों में देखकर हम लोगों को विश्वास हो जाता है कि हिमधाव भी मानवीय गतिविधि विशेषकर खनन एवं निर्माण के कारण ही होते हैं। जहां हिमधाव अचानक हो जाता है, चेतावनी के संकेत भी कई हो जाते हैं। हिमधावों से पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 150 से अधिक व्यक्ति मारे जाते हैं।
हिमधाव की घटनाओं में शुष्क पाउडर जैसे हिम के छोटे स्खलन जो आकारहीन ‘स्लफ’ के रूप में संचालित होता है, से लेकर आपदाकारी हिम लहर उत्पन्न होती है, जब हिमनदीय पर्वतीय स्खलन से बड़े खंड टूटते हैं और टूटे शीशे की तरह चकनाचूर हो जाते हैं। ये संचलित द्रव्यमान लगभग 5 सेंकेड के भीतर ही 80 मील (130 किमी) प्रति घंटे की गति पकड़ सकते हैं। इन घटनाओं में फंसने वाले व्यक्ति मुश्किल से ही बच पाते हैं। झंझावात जो 12 इंच या उससे अधिक मोटी ताजे हिम की परत बना डालते हैं, के बाद (24 घंटे तक) हिमधावों की घटनाएं आम दृश्य हो जाती हैं।