
भारत में मानसूनी वर्षा 2020
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार 1 जून से 30 सितंबर के बीच वर्ष 2020 का अखिल भारतीय मानसून मौसमी वर्षा सामान्य से अधिक रही है। आईएमडी 1961 से 2010 के बीच वर्षा के औसत को दीर्घावधिक औसत यानी एलपीए (Long Period Average-LPA) मानता है जो कि 88 सेंटीमीटर है। वर्ष 2020 के मानसूनी मौसम में 95.8 सेंटीमीटर की वर्षा दर्ज हुयी जो एलपीए का 109 प्रतिशत है।
वर्ष 2020 में भारत में मानसूनी वर्षा की निम्नलिखित विशेषताएं रहीं:
- वर्ष 1990 के पश्चात जिन तीन वर्षों में सर्वाधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई उनमें वर्ष 2020 (एलपीए का 109 प्रतिशत) भी शामिल है। दो अन्य वर्ष हैं: 1994 (112 प्रतिशत) व 2019 (एलपीए का 110 प्रतिशत)।
- वर्ष 1958 (एलपीए का 110 प्रतिशत) व 1959 (एलपीए का 114 प्रतिशत) के पश्चात पहली बार लगातार दो वर्षों (2019 व 2020) में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा दर्ज की गई है।
- यह क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में एलपीए का 106 प्रतिशत, उत्तर-पश्चिम भारत में 84 प्रतिशत, मध्य भारत में 115 प्रतिशत तथा दक्षिण भारत में एलपीए का 129 प्रतिशत वर्षा दर्ज की गई।
मौसम विज्ञान विभाग के 36 सब-डिविजनों में से 2 में बहुत अधिक, 13 में अधिक तथा 16 सब-डिविजन में सामान्य वर्षा दर्ज की गई वहीं 5 सब-डिविजन में कमजोर मानसून दर्ज की गई।
भारत में मानसून अपडेट: 20 अगस्त, 2020 की स्थिति
-19 अगस्त, 2020 को समाप्त हुये सप्ताह में उत्तरी बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र निर्मित होने तथा इसके ओडशा, झारखंड व छत्तीसगढ़ की ओर उन्मुख होने की वजह से भारी वर्षा दर्ज की गई। आलोच्य सप्ताह (13-19 अगस्त) में 42 प्रतिशत आधिक्य (एलपीए का) वर्षा दर्ज की गई। इस आधिक्य वर्षा की वजह से तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली एनसीआर, जयपुर जैसी जगहों पर जल जमाव देखा गया।
-विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार सितंबर से नवंबर के बीच ला नीना के कमजोर के 60 प्रतिशत संभावना है। इससे आलोच्य अवधि में कम वर्षा हो सकती है। वैसे सितंबर-नवंबर का समय उत्तर-पूर्व मानसून का होता है। जहां ला नीना दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए सकारात्मक होता है वहीं उत्तर-पूर्व मानसून पर इसका असर उतना अनुकूल नहीं होता है।
-1 जून से 19 अगस्त 2020 तक 620.2 मिलीमीटर (एमएम) की सामान्य वर्षा के मुकाबले 648.8 मिलीमीटर की वर्षा हुयी जो 5 प्रतिशत आधिक्य (LPA) है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 17 प्रतिशत कम (349.5 एमएम वर्षा), मध्य भारत में सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक (744.4 एमएम), दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से 25 प्रतिशत अधिक (627.4 एमएम) तथा पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 6 प्रतिशत अधिक (1050.4) वर्षा दर्ज की गई।
–1 जून से 19 अगस्त 2020 तक कुल 36 सबडिविजन स्टेशनों में से 2 में काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 4 स्टेशनों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई। 20 स्टेशनों में सामान्य वर्षा दर्ज की गई।
-1 जून से 19 अगस्त 2020 तक बिहार के कुल 38 जिलों में से 5 जिलों में बहुत अधिक वर्षा (एलई) दर्ज की गई। वहीं उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 4 जिलों में बहुत अधिक (एलई) वर्षा रिकॉर्ड की गई। देश के कुल 685 जिलों में से 80 जिलों में काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 318 जिलों में सामान्य जबकि 150 जिलों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई।
– सर्वाधिक 41.6 डिग्री सेल्सियस तापमान 17 अगस्त, 2020 को पश्चिमी राजस्थान में गंगानगर में दर्ज किया गया।
भारत में जलाशयों की स्थिति
– 20 अगस्त, 2020 तक भारत में 123 महत्वपूर्ण जलाशयों, जिनकी निगरानी केंद्रीय जल आयोग द्वारा की जाती है, में कुल जल 109.937 बिलियन क्युबिक मीटर (बीसीएम) था जो कि पूर्ण भंडारण क्षमता का 64 प्रतिशत है। भारत के 123 जलाशयों की कुल मौजूदा भंडारण क्षमता 171.00 बीसीएम है।
विगत वर्ष इसी अवधि में भारत के 123 जलाशयों में 122.616 बीसीएम था। इसका मतलब यह है कि-इस वर्ष का भंडारण विगत वर्ष के भंडारण का 90 प्रतिशत है और विगत 10 वर्षों के भंडारण का 107 प्रतिशत है। 101 जलाशयों में 80 प्रतिशत से अधिक भंडारण है।
खरीफ फसल के तहत क्षेत्र
21 अगस्त 2020 की स्थिति के अनुसार:
खरीफ फसलों की बुवाई 1062.93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 979.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी। इस प्रकार देश में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बुवाई क्षेत्र में 8.56 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। खरीफ फसलों के अंतर्गत बुवाई क्षेत्र कवरेज की प्रगति स्थिति इस प्रकार है –
चावल: 378.32 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 338.65 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 11.71 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
दलहन: 132.56 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 124.15 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 6.77 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
मोटे अनाज : 174.06 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 166.80 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 4.35 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
तिलहन: 191.14 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 167.53 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 14.09 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
गन्ना: 52.19 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 51.62 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 1.10 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
कपास: 127.69 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 123.54 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 3.36 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
जूट और मेस्टा – 6.97 लाख हेक्टेयर जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 6.86 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार बुवाई क्षेत्र में 1.68 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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भारत में मानसून अपडेट: 31 जुलाई, 2020 की स्थिति
जून में अच्छी वर्षा से मानसून ने अपना सफर आरंभ किया था परंतु जुलाई आते-आते यह थका हुआ प्रतीत होता है। जुलाई वह महीना है जिसमें खरीफ फसलों का विकास आरंभ होता है। ऐसे में अब सारा दारोमदार अगस्त महीने पर है। वैसे भी लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था जो मार झेल रही है उसमें केवल कृषि क्षेत्र में ही आशा की किरण दिखती है। ऐसे में बेहतर मानसून का होना जरूरी है।
-1 जून से 29 जुलाई 2020 तक 433.9 मिलीमीटर (एमएम) की सामान्य वर्षा के मुकाबले 436.7 मिलीमीटर की वर्षा हुयी जो 1 प्रतिशत आधिक्य है। यदि 22 से 29 जुलाई की बात करे तो सामान्य से 29 प्रतिशत कम वर्षा हुयी। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 20 प्रतिशत कम (218.8 एमएम वर्षा), मध्य भारत में सामान्य से 2 प्रतिशत कम (460.8.2 एमएम), दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक (407.3 एमएम) तथा पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक (842.6) वर्षा दर्ज की गई।
–1 जून से 29 जुलाई 2020 तक कुल 36 सबडिविजन स्टेशनों में से 1 में काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 7 स्टेशनों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई। हालांकि 23 जुलाई से 29 जुलाई के बीच 20 सबडिविजन में कमजोर मानसून दर्जा किया गया जो चिंता की बात है।
-1 जून से 29 जुलाई 2020 तक बिहार के कुल 38 जिलों में से 14 जिलों में बहुत अधिक वर्षा (एलई) दर्ज की गई। वहीं उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 7 जिलों में बहुत अधिक (एलई) वर्षा रिकॉर्ड की गई। देश के कुल 685 जिलों में से 89 जिलों में काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 251 जिलों में सामान्य जबकि 211 जिलों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई।
– सर्वाधिक 42.7 डिग्री सेल्सियस तापमान 28 जुलाई, 2020 को पश्चिमी राजस्थान में गंगानगर में दर्ज किया गया।
भारत में जलाशयों की स्थिति
– 30 जुलाई, 2020 तक भारत में 123 महत्वपूर्ण जलाशयों, जिनकी निगरानी केंद्रीय जल आयोग द्वारा की जाती है, में कुल जल 69.982 बिलियन क्युबिक मीटर (बीसीएम) था जो कि पूर्ण भंडारण क्षमता का 41 प्रतिशत है। भारत के 123 जलाशयों की कुल मौजूदा भंडारण क्षमता 171.00 बीसीएम है।
विगत वर्ष इसी अवधि में भारत के 123 जलाशयों में 49.573 बीसीएम था। इसका मतलब यह है कि-इस वर्ष का भंडारण विगत वर्ष के भंडारण का 141 प्रतिशत है और विगत 10 वर्षों के भंडारण का 103 प्रतिशत है। 71 जलाशयों में 80 प्रतिशत से अधिक भंडारण है।
खरीफ फसल के तहत क्षेत्र
31 जुलाई, 2020 की स्थिति के अनुसार:
–चावलः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष 266.60 लाख हैक्टेयर क्षेत्र था जो विगत वर्ष के मुकाबले 42.64 लाख हैक्टेयर अधिक है।।
–दलहनः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 111.91 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 93.84 लाख हेक्टेयर था।
–मोटे अनाजः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 148.34 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 139.26 लाख हेक्टेयर था।
–तिलहनः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 175.34 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 150.12 लाख हेक्टेयर था।
Source: IMD, Department of Agriculture, Cooperation and Farmer Welfare
भारत में मानसून अपडेट 3 जुलाई, 2020 की स्थिति
-दक्षिण-पश्चिम मानसून 25 जून, 2020 को राजस्थान के कुछ अन्य हिस्सों, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश के शेष हिस्सों तथा पूरी दिल्ली, हरियाणा के कुछ हिस्सों एवं पंजाब के अधिकांश हिस्सों में पहुंच गयी।
-पूर्वी छोर वाला मानसून उत्तर दिशा की ओर उन्मुख होते हुये हिमालय के गिरिपाद में पहुंच चुका है।
-दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी वर्षा के साथ ही सप्ताह के दौरान एक दिन पश्चिम राजस्थान में हीट वेव की स्थिति महसूस की गई। 30 जून, 2020 को बीकानेर (राजस्थान) में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।
-1 जून से 1 जुलाई 2020 तक 175.0 मिलीमीटर (एमएम) की सामान्य वर्षा के मुकाबले 201-6 मिलीमीटर की वर्षा हुयी जो 15 प्रतिशत आधिक्य है।
-आलोच्य अवधि में कुल 36 सबडिविजन स्टेशनों में से काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 15 स्टेशनों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई।
-बिहार के कुल 38 जिलों में से 24 जिलों में बहुत अधिक वर्षा (एलई) दर्ज की गई। वहीं उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 25 जिलों में बहुत अधिक (एलई) वर्षा रिकॉर्ड की गई। देश के कुल 683 जिलों में से 144 जिलों में काफी अधिक वर्षा दर्ज की गई जबकि 198 जिलों में सामान्य जबकि 156 जिलों में कमजोर वर्षा दर्ज की गई।
भारत में जलाशयों की स्थिति
– 2 जुलाई, 2020 तक भारत में 123 महत्वपूर्ण जलाशयों, जिनकी निगरानी केंद्रीय जल आयोग द्वारा की जाती है, में कुल जल 54.893 बिलियन क्युबिक मीटर (बीसीएम) था जो कि पूर्ण भंडारण क्षमता का 32 प्रतिशत है।
-यदि विगत वर्ष की इसी अवधि से तुलना करें तो उपर्युक्त जल भंडारण पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर भंडारण क्षमता का 32 प्रतिशत है जबकि विगत वर्ष जल भंडारण 29.202 बीसीएम था यानी एफआरएल का 17 प्रतिशत।
-इस वर्ष का भंडारण विगत वर्ष के भंडारण का 188 प्रतिशत है और विगत 10 वर्षों के भंडारण का 154 प्रतिशत है। 99 जलाशयों में 80 प्रतिशत से अधिक भंडारण है।
खरीफ फसल के तहत क्षेत्र
2 जुलाई, 2020 की स्थिति के अनुसार चावल के अधीन 68.08 लाख हैक्टेयर क्षेत्र था जो विगत वर्ष के मुकाबले 18.85 लाख हैक्टेयर अधिक है।
–चावलः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 68.08 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 49.23 लाख हेक्टेयर था।
–दलहनः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 36.82 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 9.46 लाख हेक्टेयर था।
–मोटे अनाजः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 70.69 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 35.20 लाख हेक्टेयर था।
–तिलहनः बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 109.20 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 33.63 लाख हेक्टेयर था।
Source: IMD, Department of Agriculture, Cooperation and Farmer Welfare