Abstract: भारत की विशिष्ट जलवायु व मृदा विशेषताएं विलायती कीकर जैसी विदेशी प्रजातियों को जैविक हमला करने में मदद करती हैं जिससे स्थानीय विविधता को नुकसान पहुंचता है। इस प्रजाति के उन्मूलन के लिए नियंत्रित पद्धतियां विफल साबित हुई हैं। हालांकि कुस्कुटा रिफ्लेक्सा द्वारा जैव नियंत्रण की क्षमता को स्थापित किया जा चुका है, परंतु इसके सफल क्रियान्वयन से पूर्व आगे और परीक्षण की जरूरत है।
लेखक, जैव विविधता नीति और विधि केंद्र (सीईबीपीओएल), राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, चेन्नई में फेलो हैं।
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