ग्लो पेंटः सैन्य तैयारियों के एक उपकरण
आयातित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता खत्म करने हेतु सीएसआईआर-एनपीएल के शोधकर्ताओं ने आपातस्थिति के दौरान अंधकार में प्रकाश और जीवनरक्षक चिह्नों के स्रोत के रूप में सेवा प्रदान करने वाले स्वदेशी दीर...
हरित शीतलन : ग्रामीण भारत के लिए सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर्स
ग्रामीण भारत के लिए जीवन रेखा, सीएसअईआर-एनपीएल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर, जो कि बैटरी या सौ-संचालित सैल द्वारा संचालित हो सकता है। यह रेफ्रीजरेटर पर्यावरण के लिए सुरक...
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स्किल इंडिया : आर्थिक विकास के लिए अनिवार्यताएं
भारत में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है जिसके भविष्य में समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। युवा वर्ग की आबादी की बहुलता को देखते हुए कौशल विकास की वर्तमान प्रणाली की समस्याओं पर पुनः विचार करने की आवश्यकत...
सॉफ्ट स्किल अनिवार्यताएं
समसामयिक प्रसंग में केवल तकनीकी निपुणता ही पर्याप्त नहीं है। नियोक्ताओं को सामाजिक अभिरुचि, संवाद, टीमवर्क और इनसे भी कुछ अधिक की तलाश रहती है जिसे व्यापक तौर पर सॉफ्ट स्किल कहा जाता है।
भारत में महिलाएं, कौशल और नियोज्यता
एक सफल कौशल को प्राप्त करने तथा कौशल के बेमेलपन को दूर करने के लिए आपूर्ति चालित प्रोत्साहनों को उद्योगों की मांग से बदलना होगा। इससे कामगार की नियोज्यता में सुधार होने के साथ-साथ कार्य में महिलाओं की...
भारत की प्रमुख जनजातियां
भारतीय समाज में पुरातन सांस्कृतिक परम्पराओं की दृष्टि से जनजातिय समूहों का एक विशिष्ट स्थान है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में स्थित ये जनजातियाँअ अपने दैनिक आचार-व्यवहार में अपनी पुरातन परम्पराओं को धर...
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स्किल इंडिया : आर्थिक विकास के लिए अनिवार्यताएं
भारत में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है जिसके भविष्य में समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। युवा वर्ग की आबादी की बहुलता को देखते हुए कौशल विकास की वर्तमान प्रणाली की समस्याओं पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।
सॉफ्ट स्किल अनिवार्यताएं
समसामयिक प्रसंग में केवल तकनीकी निपुणता ही पर्याप्त नहीं है। नियोक्ताओं को सामाजिक अभिरुचि, संवाद, टीमवर्क और इनसे भी कुछ अधिक की तलाश रहती है जिसे व्यापक तौर पर सॉफ्ट स्किल कहा जाता है।
भारत में महिलाएं, कौशल और नियोज्यता
एक सफल कौशल को प्राप्त करने तथा कौशल के बेमेलपन को दूर करने के लिए आपूर्ति चालित प्रोत्साहनों को उद्योगों की मांग से बदलना होगा। इससे कामगार की नियोज्यता में सुधार होने के साथ-साथ कार्य में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में सहायता मिलती है।