ग्लो पेंटः सैन्य तैयारियों के एक उपकरण
आयातित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता खत्म करने हेतु सीएसआईआर-एनपीएल के शोधकर्ताओं ने आपातस्थिति के दौरान अंधकार में प्रकाश और जीवनरक्षक चिह्नों के स्रोत के रूप में सेवा प्रदान करने वाले स्वदेशी दीर...
हरित शीतलन : ग्रामीण भारत के लिए सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर्स
ग्रामीण भारत के लिए जीवन रेखा, सीएसअईआर-एनपीएल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर, जो कि बैटरी या सौ-संचालित सैल द्वारा संचालित हो सकता है। यह रेफ्रीजरेटर पर्यावरण के लिए सुरक...
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पृथ्वी पर मौजूद जीवों का उत्पत्ति काल तथा कल्प की अवधि की गणना
<p>सर्वमान्य तथ्य के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी। पृथ्वी लगभग 0.6 अरब वर्ष तक एक गैसीय पिण्ड के रूप में थी, जिसके अर्न्तगत् विभिन्न प्रकार की भौतिक एवं रासायनिक प्रक्रियाए...
वैश्विक ताप वृद्धि के प्रभाव से गिरेगा धरती का भू-जल स्तर
<p>वैश्विक ताप वृद्धि के संभावित प्रभावों में हैं- हिमनदों का पिघलना, महादेशों से जल अपवाह में वृद्धि, समुद्रीय संस्तरीकरण जिसके कारण समुद्री उत्पादकता और मछली उत्पादन में कमी हो जाना। समुद्र के स्तर...
जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा का प्रश्न
<p>वैश्विक तापवृद्धि के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण खाद्य सुरक्षा व इस तक मनुष्य की पहुंच के प्रभावित होने की संभावना है। अल्पकालिक आघात अधिक होंगे, जैसे मौसम घटनाओं और बदलते तापमान की...
भारत के राज्यों में प्रादेशिक नियोजन एवं द्वीपीय क्षेत्रों का विकास
<p>अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य को संजोये लगभग एक हजार से अधिक भारतीय द्वीप बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में अप्रतिम नैसर्गिक छटा बिखेर रहे हैं। अपनी कूटनीतिक अवस्थिति, संसाधनों से परिपूर्णता एवं नयनाभिराम...
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पृथ्वी पर मौजूद जीवों का उत्पत्ति काल तथा कल्प की अवधि की गणना
<p>सर्वमान्य तथ्य के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई थी। पृथ्वी लगभग 0.6 अरब वर्ष तक एक गैसीय पिण्ड के रूप में थी, जिसके अर्न्तगत् विभिन्न प्रकार की भौतिक एवं रासायनिक प्रक्रियाएं सम्पादित हो रही थीं। इसी के फलस्वरूप कालान्तर में यह एक ठोस संरचना में परिवर्तित हो गई। 3.6 अरब […]</p>
वैश्विक ताप वृद्धि के प्रभाव से गिरेगा धरती का भू-जल स्तर
<p>वैश्विक ताप वृद्धि के संभावित प्रभावों में हैं- हिमनदों का पिघलना, महादेशों से जल अपवाह में वृद्धि, समुद्रीय संस्तरीकरण जिसके कारण समुद्री उत्पादकता और मछली उत्पादन में कमी हो जाना। समुद्र के स्तर में वृद्धि, तटवर्ती भूमि का कम हो जाना, तूफानों, चक्रवातों और प्रचंड मौसमी घटनाओं की बारम्बरता में वृद्धि होना, बाढ़ से ऊपरी […]</p>
जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा का प्रश्न
<p>वैश्विक तापवृद्धि के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण खाद्य सुरक्षा व इस तक मनुष्य की पहुंच के प्रभावित होने की संभावना है। अल्पकालिक आघात अधिक होंगे, जैसे मौसम घटनाओं और बदलते तापमान की अनिश्चितता और दीर्घकाल में जल संसाधनों की पैदावार में कमी आ सकती है। यहां तक कि संरक्षण के लिए […]</p>