Abstract: मेगा शहरों, खासकर विकासशील देशों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। व्यक्तिगत और भौतिक पर्यावरणीय स्थिति का संयोजन इसके प्रभाव की गंभीरता को निर्धारित करता है जिनमें मामूली बीमारियों से लेकर मृत्यु तक की स्थिति शामिल है। इन शहरों द्वारा उच्चतर स्तर का जोखिम और स्वास्थ्य के खतरों का अनुभव किए जाने का अनुमान है। स्थायी श्वसन रोगों, मुख्य रूप से निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से मृत्यु तथा उत्तर भारत के शहरों में वायु प्रदूषण के बीच सह-संबंध है।

लेखक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के भूगोल विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।