Abstract: अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (यूएवी), जो ड्रोन के नाम से लोकप्रिय है, और सर्वाधिक होनहार एवं उदीयमान प्रौद्योगिकियों में से एक है, आपदा प्रत्युत्तर व राहत अभियानों में सुधार के लिए प्रयुक्त हो रहे हैं। सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी से युक्त यूएवी (UAV-RS) का जोखिम आकलन व निगरानी में प्रयोग बढ़ रहा है क्योंकि यह लोचकता व निम्न संचालकीय लागत पर शीघ्र तैनाती की सुविधा प्रदान करता है। इसी प्रकार सेंसर्स तथा डाटा के संग्रह व विनिमय के अनुप्रयोग से युक्त इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है जो आपात प्रबंधन के लिए उत्कृष्ट सहायता प्रदान कर सकती है। आईओटी से समन्वित यूएवी (UAV-IoT) आपदाओं के समय आपदा प्रत्युत्तर प्रभाविता में सुधार ला सकती हैं। यह आलेख कुछ केस स्टडी को रेखांकित करते हुये आपदा प्रबंधन सहायता गतिविधि के लिए यूएवी की उपयोगिता को प्रस्तुत करता है। यूएवी का उपयोग करते हुये आपदा प्रबंधन सहायता के लिए आईओटी प्लेटफॉर्म पर मॉडल की अवधारणा विकसित की गई है और यहां प्रस्तुत की गई है।
आयातित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता खत्म करने हेतु सीएसआईआर-एनपीएल के शोधकर्ताओं ने आपातस्थिति के दौरान अंधकार में प्रकाश और जीवनरक्षक चिह्नों के स्रोत के रूप में सेवा प्रदान करने वाले स्वदेशी दीर...
ग्रामीण भारत के लिए जीवन रेखा, सीएसअईआर-एनपीएल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर, जो कि बैटरी या सौ-संचालित सैल द्वारा संचालित हो सकता है। यह रेफ्रीजरेटर पर्यावरण के लिए सुरक...
भारत दुनिया में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है जोकि पूरे विश्व के कुल जूट उत्पादन के लगभग 55 प्रतिशत के बराबर है। पश्चिम बंगाल देश में जूट उत्पादन के 90 प्रतिशत से अधिक का उत्पादन करता है। कम प्रतिफल के क...