Abstract: आर्कटिक का भारत के लिए विशेष महत्व है क्योंकि भारतीय मानसून और आर्कटिक प्रक्रियाएं जटिल रूप से जुड़ी हुई हैं। आर्कटिक में पहला भारतीय वैज्ञानिक अभियान वर्ष 2007 में आरंभ किया गया था जिसके फलस्वरूप वर्ष 2008 में नी-अलसुंड में ‘हिमाद्रि’ की स्थापना हुई थी। भारत वर्ष 2012 में अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक विज्ञान समिति शामिल हुआ और वर्ष 2013 से आर्कटिक परिषद में एक प्रेक्षक है।
लेखक राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केन्द्र, गोवा में प्रभारी वैज्ञानिक (आर्कटिक कार्यक्रम और लॉजिस्टिक्स) है। krishnan@ncaor.gov.in ।
आयातित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता खत्म करने हेतु सीएसआईआर-एनपीएल के शोधकर्ताओं ने आपातस्थिति के दौरान अंधकार में प्रकाश और जीवनरक्षक चिह्नों के स्रोत के रूप में सेवा प्रदान करने वाले स्वदेशी दीर...
ग्रामीण भारत के लिए जीवन रेखा, सीएसअईआर-एनपीएल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर, जो कि बैटरी या सौ-संचालित सैल द्वारा संचालित हो सकता है। यह रेफ्रीजरेटर पर्यावरण के लिए सुरक...
भारत दुनिया में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है जोकि पूरे विश्व के कुल जूट उत्पादन के लगभग 55 प्रतिशत के बराबर है। पश्चिम बंगाल देश में जूट उत्पादन के 90 प्रतिशत से अधिक का उत्पादन करता है। कम प्रतिफल के क...