विश्व पर्यावरण की चिंता और मानव समाज

<p>मानव की निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या से जीव मण्डल की पारिस्थितिक व्यवस्था असन्तुलित होती जा रही है। विश्व पर्यावरण में परिवर्तन पारस्परिक अन्तर क्रिया द्वारा तीव्र गति से होते जा रहे हैं। मानव की निजी और सामाजिक आकांक्षाओं की प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पूर्ति, जीव-मंडल के सर्वनाश का विनाशकारी कारक बन गयी है।</p>...

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