विश्व पर्यावरण की चिंता और मानव समाज

<p>मानव की निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या से जीव मण्डल की पारिस्थितिक व्यवस्था असन्तुलित होती जा रही है। विश्व पर्यावरण में परिवर्तन पारस्परिक अन्तर क्रिया द्वारा तीव्र गति से होते जा रहे हैं। मानव की निजी...
<p>5 जनवरी, 2014 अंतरिक्ष में भारत की सफलता का एक अन्य महत्वपूर्ण दिन था। श्री हरिकोटा द्वीप स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से 17 मंजिली इमारत जितने विशालाकार जीएसएलवी ने अपने प्रक्षेपण के मात्र 18 मिनट बाद ए...
<p>मंगल पर जीवन होने की आशा वहाँ पर जमी हुई बर्फ और वाष्प के रूप में मिले पानी से होती है। पृथ्वी के समान भू-वैज्ञानिक लक्षणों के होने की संभावना में यह एक प्रमुख कारण है। परन्तु तरल रूप में जल की उपस...
<p>हमारे सौर मंडल में 8 प्रमुख ग्रह हैं, जो सूर्य का चक्कर उसके उपग्रह के रूप में लगाते हैं। इनके नाम हैं-पृथ्वी, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून। पृथ्वी के मनुष्यों के लिए इनमें...
<p>मानव की निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या से जीव मण्डल की पारिस्थितिक व्यवस्था असन्तुलित होती जा रही है। विश्व पर्यावरण में परिवर्तन पारस्परिक अन्तर क्रिया द्वारा तीव्र गति से होते जा रहे हैं। मानव की निजी और सामाजिक आकांक्षाओं की प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पूर्ति, जीव-मंडल के सर्वनाश का विनाशकारी कारक बन गयी है।</p>
<p>5 जनवरी, 2014 अंतरिक्ष में भारत की सफलता का एक अन्य महत्वपूर्ण दिन था। श्री हरिकोटा द्वीप स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से 17 मंजिली इमारत जितने विशालाकार जीएसएलवी ने अपने प्रक्षेपण के मात्र 18 मिनट बाद एक सुनिश्चित कक्षा में जीसैट-14 उपग्रह को स्थापित कर दिया।</p>
<p>मंगल पर जीवन होने की आशा वहाँ पर जमी हुई बर्फ और वाष्प के रूप में मिले पानी से होती है। पृथ्वी के समान भू-वैज्ञानिक लक्षणों के होने की संभावना में यह एक प्रमुख कारण है। परन्तु तरल रूप में जल की उपस्थिति के पुख्ता साक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। रोबोट लैंडर्स और रोवर द्वारा भेजे गये मंगल के चित्रों में यह पृथ्वी के समान ही दिखता है।</p>