सीएसआईआर ने विकसित की कांगड़ा चाय की उन्नत किस्म

<p>सीएसआईआर-आईएचबीटी (हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान) पर्वतीय क्षेत्र की पादप व पुष्प प्रजातियों की उन्नत किस्मों के संवर्धन में अपना विशिष्ट योगदान कर रहा है। इसी क्रम में सीएसआईआर-आईएचबीटी ने...
<p>भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अपने व्यवसाय के रूप में मूलरूप से कृषि का चयन करते हैं। उनके लिए दूसरा उत्तम रोजगार पशुपालन के रूप में दिखता है। कृषि-मौसमों रबी, खरीफ, जायद के अलावा वर्ष का...
<p>व्यापक आयोजना प्रक्रिया को सहभागिता पूर्वक जल संसाधन सरोकारों की पहचान तथा समाधान सहित ऐसी योजनाओं के विकास एवं कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करना चाहिए जो जल निकासी प्रणालियों के विभिन्न संयोजन स्...
<p>भारतीय कृषि जिन चुनौतियों का मुकाबला कर रही है उनमें लगातार वृद्धि हो रही है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन की वर्तमान बहस में, मौजूदा प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने वाली गहन कृषि की धारणीयता पर सवाल ख...
<p>सीएसआईआर-आईएचबीटी (हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान) पर्वतीय क्षेत्र की पादप व पुष्प प्रजातियों की उन्नत किस्मों के संवर्धन में अपना विशिष्ट योगदान कर रहा है। इसी क्रम में सीएसआईआर-आईएचबीटी ने हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में उगने वाली कांगड़ा चाय की उन्नत प्रजाति विकसित की है।</p>
<p>भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अपने व्यवसाय के रूप में मूलरूप से कृषि का चयन करते हैं। उनके लिए दूसरा उत्तम रोजगार पशुपालन के रूप में दिखता है। कृषि-मौसमों रबी, खरीफ, जायद के अलावा वर्ष का जो समय शेष बचता है उनमें वे अपने लिए कोई वैकल्पिक रोजगार ढूंढते हैं।</p>
<p>व्यापक आयोजना प्रक्रिया को सहभागिता पूर्वक जल संसाधन सरोकारों की पहचान तथा समाधान सहित ऐसी योजनाओं के विकास एवं कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करना चाहिए जो जल निकासी प्रणालियों के विभिन्न संयोजन स्तरों पर पर्यावरणिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से धारणीय हों।</p>