डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद
कार्यकारी संपादक,
निदेशक,
परी ट्रेनिंग इन्सटीट्यूट
विगत एक महीना में किसी अन्य घटना ने वैश्विक मीडिया में इतनी सूर्खियां नहीं बनाई हैं जितना कि चीन के वुहान शहर से आरंभ हुयी नोवेल कोरोनावायरस ने। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सीनेट में महाभियोग तथा यूनाइटेड किंगडम का औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से अलग होना भी कई महत्व वाली घटनाएं थीं परंतु कोरोनावायरस कहीं अध्कि वैश्विक व्याप्ति वाली चिंताजनक घटना है जो हमारे समक्ष कई चुनौतियां एवं सबक लेकर आयी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चीनी चिकित्सक ली वेनलियांग ने इस वायरस का पहला मामला सामने आने पर अधिकारियों को सचेत किया था कि सार्स जैसा कोई नया कोरोनावायरस से ग्रसित मरीज को भर्ती किया गया है। हालांकि स्थानीय अधिकारियों ने इस पर सतर्क होने के बजाय वेनलियांग के स्वर को ही दबाने का प्रयास किया। वैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नामक मौलिक अधिकार के मामले में चीन से बेहतरी की अपेक्षा नहीं की जा सकती, परंतु जिस परिघटना का असर वैश्विक मानव जगत के लिए घातक हो, उस मामले में इस तरह की आवाजों को दबाया जाना निश्चित रूप से राजनीतिक व मानवीय नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है। आज कोरोनावायरस न केवल चीन के वुहान शहर को ‘घोस्ट सिटी’ में बदल दिया है वरन्् विश्व के 24 देशों में भी इसके कई मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर दिया है और 9 पफरवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार विश्व में 900 से अध्कि लोग इस वायरस के कारण काल कवलित हो चुके हैं। हताहतों की संख्या वर्ष 2003 की सार्स महामारी से भी अध्कि हो चुकी है। जिस चीन ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया था, आज उसी चीन के नागरिकों व वस्तुओं को विश्व का कोई भी देश स्वीकारने को तैयार नहीं है। हालांकि ऐसी वैश्विक आपदा के समय विश्व के सभी देशों से मानवीयता से पेश आने और ग्रसित देश से सहयोग करने की अपेक्षा की जाती है परंतु अन्य देशों को अपने नागरिकों को भी बचाना है, ऐसे में यह विचित्रा स्थिति है। हालांकि कोरोनावायरस के एक नया रूप की पुष्टि होने के पश्चात चीनी सरकार की प्रतिक्रिया व तत्परता प्रशंसनीय दिखती है। अवकाश के मौसम में भी नागरिकों की आवाजाही पर अत्यधिक नियंत्रण की भले ही आलोचना की जा रही हो परंतु यह इस बीमारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों को देखते हुए बुद्धिमानी भरा कदम भी माना जा रहा है। कोरोनावायरस के मरीजों के लिए एक अलग अस्पताल महज 10 दिनों में ही बनकर तैयार हो जाना भी चीनी सरकार की त्वरित प्रत्युत्तर का प्रतिफल है।
ये तो बात हुयी बीमारी के पश्चात के उपायों पर। अब वैज्ञानिकां के समक्ष चुनौती है कि इस वायरस के तह तक जाने की। माना यह जा रहा है कि यह बीमारी जानवरों से मानव में संक्रमित हुआ है और समुद्री खाद्य उत्पादों या जानवरों की मंडी के पास रहने वाले व्यक्ति सर्वप्रथम इससे संक्रमित हुए और फिर बाद में मानव से मानव में संक्रमण का मामला भी सामने आया। हाल में चीनी वैज्ञानिकों का एक शोध् सामने आया है जिसमें पैंगोलिन से मानव में कोरोना वायरस संक्रमित होने की बात कही गई है। हालांकि अभी इसकी पूरी पुष्टि नहीं हो पायी है। कोई अन्य जानवर भी इसका प्राकृतिक मेजबान या होस्ट हो सकता है। उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में कई ऐसी वायरस जनित घातक बीमारियां सामने आईं हैं जिसका नेचुरल होस्ट चमगादड़ रहा है। निपाह वायरस, इबोला वायरस, सार्स कोरोनावायरस इसके उदाहरण हैं। वाशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार नोवेल कोरोनवायरस का स्रोत चमगादड़ या पैंगोलिन हो सकता है। वैज्ञानिक जल्द ही इसके स्रोत तक भी पहुंचने में सपफल होंगे, परंतु एक बात साफ है कि जूनॉटिक बीमारियां ;जानवरों से मानव में पफैलने वाली बीमारियांद्ध आज खतरनाक रूप ले चुकी हैं और नई बीमारियां सामने आती रहती हैं जिसके लिए न तो सरकार न ही वैज्ञानिक तैयार होते हैं। नई बीमारियों के लिए टीका विकसित करने में भी कापफी समय लगता है और इस बीच सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके होते हैं। यह दर्दनाक स्थिति है जिस पर वैश्विक सरकारों, संगठनों एवं शोधकर्त्ताओं को विचार करना है।
‘भूगोल और आप’ का यह अंक आपको जरूर पसंद आएगा।