डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद

कार्यकारी संपादक,

निदेशक,
परी ट्रेनिंग इन्सटीट्यूट

 ‘परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है, और जो अपने दिमाग को परिवर्तित नहीं कर सकते वे कुछ भी परिवर्तित नहीं कर सकते।’ जॉर्ज बर्नाड शॉ के कथनानुरुप ‘भूगोल और आप’ भी परिवर्तित रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है। अब यह पत्रिका मासिक हो गयी है। यह परिवर्तन आप पाठकों के लिए खुशी की खबर तो है क्योंकि अब आपको इसके लिए दो महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, साथ ही हमारे लिए भी प्रसन्नता का विषय है क्योंकि अब हम प्रतिमाह पत्रिका के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत हुआ करेंगे। यह तो हुयी सकारात्मक शुरुआत। इस सकारात्मक शुरुआत के साथ ही हम आपका ध्यान एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती, या यूं कहें कि मानव जनित पर्यावणीय चुनौती की ओर आकर्षित करना चाहते हैं जो हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को संकट में डालने की क्षमता रखता है। मैं यहां बात कर रहा हूं ‘प्लास्टिक के उपयोग व उससे जनित प्रदूषण की।’ क्या आपको पता है कि प्रतिमिनट पूरे विश्व में कितने प्लास्टिक बोतल हम खरीदते हैं? 10 लाख प्लास्टिक बोतल। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार हम जितना अपशिष्ट पैदा करते हैं उसमें 10 प्रतिशत प्लास्टिक होता है। ये किसी न किसी रुप में मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ समुद्री पारिस्थितिकी सहित संपूर्ण पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुये ही पृथ्वी दिवस व विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण रखी गयी है। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि इस प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दें ताकि समुद्री प्रदूषण के शमन संबंधी सतत्् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

प्लास्टिक प्रदूषण के साथ वन्य जीव अपराध भी हमारे लिए और हमारी जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। मौजूदा अंक में इन विषयों पर विशेष रुप से केंद्रित किया गया है। जैसा कि ऊपर हमने कहा कि ‘भूगोल और आप’ का मौजूदा अंक परिवर्तन के साथ प्रस्तुत हो रही है। परंतु यह परिवर्तन महज आवधिक स्तर पर ही नहीं है, वरन् विषय वस्तु के स्तर पर भी है। हमने इसे और रोचक व इंटरैक्टिव बनाने का प्रयास किया है। पाठकों, खासकर सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों (जिनमें यूपीएससी व राज्य पीसीएस शामिल हैं) की जरूरतों के हिसाब से सामान्य अध्ययनोन्मुख एवं पर्यावरणोन्मुख बनाने का यत्न किया है। हमारा प्रयास है कि भूगोल, पर्यावरण, विज्ञान, सामाजिक विकास व इससे जुड़ी समसामयिक विषयों की तैयारी में यह पत्रिका आपका मार्गदर्शक बनकर उभरे। इसके अलावा इसे सभी पाठक समूह के अनुरुप रोचक बनाने की कवायद भी की जा रही है। यह परिवर्तन आगे भी जारी रहेगी। इस विषय पर आपके सुझाव आमंत्रित हैं।