डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद

कार्यकारी संपादक,

निदेशक,
परी ट्रेनिंग इन्सटीट्यूट

उत्तर भारत में खासकर दिल्ली में फरवरी-मार्च 2020 में भारी बारिश हुई। औसत तापमान भी कम रहा। फरवरी-मार्च में यह मौसम परिघटना सामान्य नहीं कही जा सकती है। इससे पहले दिसम्बर 2019 में भी रिकॉर्ड ठंड देखी गई। इस तरह कहा जा सकता है कि त्वरित मौसमी विक्षोभ या व्यवधान की निरंतरता बनी हुई है। मार्च 2020 के प्रथम सप्ताह में टाइम्स ऑफ इंडिया में मौसम विज्ञानियों के हवाले से रिपोर्ट छपी थी कि पश्चिमी विक्षोभ की निरंतरता भारत से कहीं दूर आर्कटिक से प्रभावित हो रही है। आर्कटिक में बर्फ आच्छादन विगत 10 वर्षों के सर्वोत्तम स्तर पर है। पश्चिमी विक्षोभ वस्तुतः निम्न दबाव का पश्चिम अभिमुख जलवायु प्रणाली है जो सर्दियों में वर्षा लाती है। इस बार जनवरी में दस, फरवरी में नौ तथा 6 मार्च तक दो पश्चिमी विक्षोभ देखी गईं। अमूमन ये दो से तीन ही दिखाई देते हैं। इसकी वजह है आर्कटिक पोलर वर्टेक्स जो कि निम्न दबाव व अति ठंडी वायु प्रणाली है। धु्रवीय क्षेत्रों तथा मध्य अक्षांशों में वर्द्धित तापांतर की वजह से इस बार पोलर वर्टेक्स कापफी मजबूत है। इसी का असर आर्कटिक बर्फ चादर पर भी देखा जा रहा है। इस पर शोध की जरूरत है। हालांकि सवाल उठाया जा सकता है कि जब पूरे विश्व में वैश्विक तापवृद्धि के प्रति निरंतर चेतावनी दी जा रही है और इससे ध्रुवीय बर्फों के पिघलने की भी बात की जा रही है तो फिर आर्कटिक में बर्फ की चादर विगत 10 वर्षों में सर्वाध्कि मोटी कैसे हो गई। इस पर शोध की जरूरत है। हालांकि सच यह भी है कि आर्कटिक में बर्फ की चादर 10 वर्षों के उच्चतम स्तर पर होने के बावजूद अभी भी यह दीर्घकालिक जलवायु औसत की तुलना में कम ही है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि जलवायु परिवर्तन या वैश्विक तापवृद्धि हकीकत से परे है। वैसे भी ‘चरम मौसमी घटनाओं’ के पीछे जलवायु परिवर्तन ही कारक है। दिसंबर माह में अधिक ठंड या फरवरी-मार्च 2020 में वर्षा भी इससे संबंधित हो सकती है।

उपर्युक्त प्रतिकूल व चरम मौसमी घटनाओं के बीच कोरोनावायरस आज औपचारिक रूप से पैंडेमिक का रूप ले चुका है। इसकी भयावहता का असर दुनिया भर में आर्थिक व प्रशासनिक स्तर पर देखा जा रहा है। डब्ल्यूएचओ द्वारा पैंडेमिक घोषणा के एक दिन बाद ही 12 मार्च, 2020 को 30 शेयरों का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स रिकॉर्ड 2919 प्वाइंट गिर गया। संपूर्ण इटली में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। आरंभ में लग रहा था कि अत्यधिक आबादी वाला विकासशील देश चीन की यह समस्या है परंतु धीरे-धीरे इटली जैसा विकसित देश में इसका व्यापक संक्रमण देखा गया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी 26 यूरोपीय देशों से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया। ये परिघटनाएं स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि विश्व गंभीर चुनौतियां से गुजर रहा है। दुखद तथ्य यह है कि इस बीमारी पर काबू पाने के लिए अभी तक कोई टीका नहीं विकसित किया जा सका है इसलिए इस पर काबू पाने में भी समय लग रहा है। हालांकि भारत, चीन का पड़ोसी है इसके बावजूद यहां संक्रमण का स्तर अधिक नहीं है। वैसे 12 मार्च, 2020 तक 70 लोगों में कोरोनावायरस पॉजिटिव पाया गया। परंतु इस संदर्भ में कहा जा सकता है कि सरकार ने ऐहतियाति कदम उठाये हैं। यह कदम स्थानीय स्तर पर भी सीमित नहीं रहा है वरन् विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने में भी तत्परता दिखी जो प्रशंसनीय है। परंतु हमारी स्वास्थ्य आधारसंरचना की कमजोरियां किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत में कोरोनावायरस से तैयारियों के प्रति आगाह किया था। बहरहाल, यह बीमारी भी धीरे-धीरे भारत में अपना पांव पसार रही है, ऐसे में खुद को संक्रमण से बचाने का हर संभव प्रयास किया जाना जरूरी है।

भूगोल और आप का यह अंक विशेष रूप से सरकारी योजनाओं पर केंद्रित है, परंतु इसके साथ ही आपदा प्रबंधन व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे समसामयिक टॉपिक्स पर भी इसमें आलेख शामिल किये गये हैं। उम्मीद है, यह अंक आपको पसंद आएगा।