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सामयिक
मेगा शहरों, खासकर विकासशील देशों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। व्यक्तिगत और भौतिक पर्यावरणीय स्थिति का संयोजन इसके प्रभाव की गंभीरता को निर्धारित करता है जिनमें मामूली बीमारियों से लेकर मृत्यु तक की स्थिति शामिल है। इन शहरों द्वारा उच्चतर स्तर का जोखिम और स्वास्थ्य के खतरों का अनुभव किए जाने का अनुमान है। स्थायी श्वसन रोगों, मुख्य रूप से निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से मृत्यु तथा उत्तर भारत के शहरों में वायु प्रदूषण के बीच सह-संबंध है।
भारत की विशिष्ट जलवायु व मृदा विशेषताएं विलायती कीकर जैसी विदेशी प्रजातियों को जैविक हमला करने में मदद करती हैं जिससे स्थानीय विविधता को नुकसान पहुंचता है। इस प्रजाति के उन्मूलन के लिए नियंत्रित पद्धतियां विफल साबित हुई हैं। हालांकि कुस्कुटा रिफ्लेक्सा द्वारा जैव नियंत्रण की क्षमता को स्थापित किया जा चुका है, परंतु इसके सफल क्रियान्वयन से पूर्व आगे और परीक्षण की जरूरत है।
भारत में सूरज की रोशनी भरपूर है, देश में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता है। हालांकि भारत सौर ऊर्जा को अपनाने में धीमा रहा है, परंतु अब गति पकड़ रहा है।