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सामयिक
संपादकीय
‘मानव की जरूरतों की पूर्ति के लिए पृथ्वी पर्याप्त है परंतु प्रत्येक व्यक्ति के लालच के लिए नही।’ महात्मा गांधी के
‘मानव की जरूरतों की पूर्ति के लिए पृथ्वी पर्याप्त है परंतु प्रत्येक व्यक्ति के लालच के लिए नही।’ महात्मा गांधी के