भारतीय समाज में पुरातन सांस्कृतिक परम्पराओं की दृष्टि से जनजातिय समूहों का एक विशिष्ट स्थान है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में स्थित ये जनजातियाँअ अपने दैनिक आचार-व्यवहार में अपनी पुरातन परम्पराओं को धरोहर के रूप में संजोए हुए हैं। साथ ही, ये आधुनिक भारतीय समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रयत्नशील हैं। शिक्षा एवं विकास की नवीन रोशनी में इनके जीवन को सभ्यता के नये आयम मिले हैं।
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ग्रामीण भारत के लिए जीवन रेखा, सीएसअईआर-एनपीएल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया सॉलिड स्टेट रेफ्रीजरेटर, जो कि बैटरी या सौ-संचालित सैल द्वारा संचालित हो सकता है। यह रेफ्रीजरेटर पर्यावरण के लिए सुरक्षित है तथा इसका उपयोग कम तापमान पर खाद्य-पदार्थ और दवाओं को संरक्षित करने के लिए हो सकता है।
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आयातित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता खत्म करने हेतु सीएसआईआर-एनपीएल के शोधकर्ताओं ने आपातस्थिति के दौरान अंधकार में प्रकाश और जीवनरक्षक चिह्नों के स्रोत के रूप में सेवा प्रदान करने वाले स्वदेशी दीर्घावधिक आफ्टर (एलएपी) पाउडर और पेंट विकसित किए हैं।
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